**आलसी लड़का और सेब का पेड़**
जॉन एक लड़का था जो बहुत ज्यादा अलसी था. उसे कोई काम करना पसंद नहीं था, चाहे वो कितना भी छोटा क्यों न हो। अपने कपडे तक बदलने में भी उसको मेहनत लगती थी। उसके मम्मी-पापा हमेशा उसको डांटते थे, पर उसको कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसका मानना था कि जिंदगी आसान होनी चाहिए और सब कुछ बिना मेहनत के मिलना चाहिए।
एक दिन, धूप में सुकून से बैठने के लिए जॉन अपने पिछवाड़े में एक बड़े सेब के पेड़ के नीचे जाके लेट गया। वो पेड़ पुराना और मजबूत था, हर साल उसमें लाल, रस भरे सेब लगते थे। उस दिन भी पेड़ पूरी तरह से सेब से भरा हुआ था।
जॉन ने ऊपर देखा और उसके मुँह में पानी आ गया। उसको वो मीठा, रसीला सेब खाना था। पर समस्या ये थी कि वो इतना अलग था कि ना तो पेड़ पर चढ़ सकता था और ना ही कोई लड़की उठाकर सेब गिराने का सोच रहा था।
"बस यहीं लेट जाता हूं," जॉन ने सोचा। "थोड़ी देर में सेब खुद गिर जाएंगे, और मुझे कुछ करना भी नहीं पड़ेगा।"
और फिर वो आराम से नीचे लेट गया, सेब गिराने का इंतज़ार करने लगा। घण्टों बीत गए, लेकिन एक भी सेब नहीं गिरा। धूप ढल गई, शाम होने लगी, पर जॉन वही पड़ा रहा। भूख से उसका पेट गुड़-गुड़ कर रहा था, पर वो उठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
"थोड़ा और रुकता हूं, गिर ही जाएंगे," वो खुद से कह रहा था।
लेकिन कुछ भी नहीं गिरा.
आख़िर में जब अँधेरा होने लगा और उसकी भूख बढ़ गई, तब उसको समझ आया कि बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलता। उठाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।
बड़ी मुश्किल से जॉन ने अपना अलसी बदन उठाया, हाथ फेलया और पेड़ पर चढ़ने की कोशिश की। शुरू में उसको थोड़ा मुश्किल लगा, पर धीरे-धीरे वो एक शाख तक पहुंच गया। उसने एक ताज़ा, लाल सेब तोड़ा और जैसा ही पहला काटा लिया, मीठा स्वाद उसके मुँह में फेल हो गया।
सेब का मजा लेते-लेते उसको एक और बड़ी बात समझ आई—अगर वो शुरू में ही उठने की हिम्मत कर लेता, तो पूरा दिन भूखा नहीं रहता।
उस दिन के बाद, जॉन ने एक ज़रूरी सबक सीखा: **अगर कुछ पाना है, तो उसके लिए मेहनत भी करनी पड़ेगी। जिंदगी में सब कुछ बिना प्रयास के नहीं मिलता।**
**कहानी की नीति:**
अलसी लोग कुछ भी नहीं पाते. अगर कुछ चाहिए, तो उसके लिए मेहनत करनी पड़ेगी!
Our latest content
Check out what's new in our company !
आलसी लड़का और सेब का पेड़