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गिलहरी और जादुई तलाब | Hindi Kahani of Squirrel

4 February 2025 by
गिलहरी और जादुई तलाब | Hindi Kahani of Squirrel
ImtiyazSheikh

गिलहरी की हिंदी कहानी: एक जंगल में बुलबुल नाम की गिलहरी रहती थी। वह बहुत चंचल थी और उछल-कूद करती रहती थी।


कई बार जंगल के जानवर उसे समझाते थे कि इतना उछल-कूद और शरारत करना ठीक नहीं है लेकिन वह नहीं मानती थी। उसे यह सब करने में मज़ा आता था।


एक दिन बुलबुल एक पेड़ पर उछल-कूद कर रही थी। तभी भोलू नामक भालू वहाँ आया और बुलबुल उछलकर उसकी पीठ पर बैठ गई।


भोलू: बहन बुलबुल, तुम रोज़ की तरह आज भी शरारत कर रही हो। पिछली बार तुम्हारी वजह से मेरा पैर फिसल गया था और मैं कीचड़ में गिर गया था।


यह सुनकर बुलबुल हँसने लगी।


बुलबुल: सॉरी भोलू, तुम्हें देखकर मुझे तुम्हें चिढ़ाने का मन कर रहा है लेकिन मैं वादा करती हूँ कि आज मैं तुम्हारे साथ कोई शरारत नहीं करूँगी।


भोलू एक पेड़ के नीचे लेट जाता है और आराम करने लगता है। कुछ देर बाद बुलबुल की आवाज़ सुनकर वह जाग जाता है।


बुलबुल: मुझे बचाओ, मुझे बचाओ, मैं यहाँ पेड़ की शाखा पर फँस गई थी।


भोलू जब वहाँ पहुँचता है तो देखता है कि बुलबुल अपनी दुम से लटकी हुई है और कभी भी गिर सकती है। वह दौड़कर सभी जानवरों को बुलाता है।


बुलबुल: भाइयो, मुझे बचा लो। मैं पेड़ पर चढ़ रही थी तभी मेरी दुम दो शाखाओं के बीच में फँस गई।


कुछ देर बाद जिराफ़ वहाँ पहुँचता है और गिलहरी को पेड़ से छुड़ाकर नीचे रख देता है। बुलबुल सबका शुक्रिया अदा करती है।


भोलू: मैंने तुम्हारी शरारत का नतीजा देख लिया है। मुझसे वादा करो कि तुम फिर कभी शरारत नहीं करोगे।


बुलबुल वादा करती है। वह खाना खाने के बाद दो दिन तक चुपचाप एक पेड़ पर बैठी रहती थी। लेकिन वह बहुत उदास रहती थी। उसे उछल-कूद करने में मज़ा आता था।


एक दिन जब वह पेड़ पर बैठी थी तो उसने एक शरारती बंदर को एक शाखा से दूसरी शाखा पर कूदते देखा। यह देखकर बुलबुल का भी मन वैसा ही करने को हुआ।


अगले दिन उसने तय किया कि वह जंगल से दूर दूसरे जंगल में जाकर खेलेगी ताकि गाँव वालों को उसकी शरारत के बारे में पता न चले।




सुबह होते ही वह सबसे बचते हुए दूसरे जंगल में पहुँच गई। वहाँ पहुँचते ही उसे एक बड़ा तालाब दिखाई दिया। उसने सोचा क्यों न पहले नहा लिया जाए।


जैसे ही वह तालाब के पास पहुँची, एक चिड़िया ने उसे आवाज़ लगाई –


चिड़िया: बहन, क्या तुम इस जंगल में नई हो? इस तालाब से दूर रहो। जो भी इसमें नहाने जाता है, उसके शरीर का एक अंग गायब हो जाता है।


बुलबुल: वाह, ऐसा कैसे हो सकता है? तुम मुझे झूठमूठ डरा रही हो।


चिड़िया: तुम्हारी मर्जी, मैं तो तुम्हें चेतावनी दे रही थी। जाओ और नहा लो, तुम्हें पता चल जाएगा।


बुलबुल ने एक न सुनी, उसने तालाब में डुबकी लगाई। उसे बहुत मज़ा आया। वह बहुत देर तक तालाब में नहाती रही। जब वह तालाब से बाहर आई, तो चिड़िया उसे देखकर हँसने लगी।


बुलबुल: तुम क्यों हँस रही हो?


चिड़िया: तुम्हारी पूँछ कहाँ है?


बुलबुल ने पलटकर देखा कि उसकी पूँछ नहीं थी। बिना पूँछ के वह बहुत बुरी लग रही थी।


बुलबुल रोने लगी। वह तालाब के पास गई और अपनी पूँछ वापस माँगी।


सुबह से शाम हो गई लेकिन उसे तालाब से अपनी पूंछ वापस नहीं मिली। हारकर बुलबुल वापस चलने लगी। तभी तालाब से एक आवाज़ आई।


तालाब: यह एक जादुई तालाब है। चिड़िया ने तुम्हें यहाँ नहाने से मना किया था लेकिन तुमने नहीं माना और इसी वजह से तुम्हारी पूंछ चली गई।


बुलबुल: मुझे माफ़ कर दो, अब मैं कभी किसी की चीज़ें बिना पूछे इस्तेमाल नहीं करूँगी।


तालाब: अब तुम अपने जंगल में जाओ और सभी जानवरों से माफ़ी मांगो और आज से शरारत करना बंद करो। जंगल में सबकी मदद करो, फिर धीरे-धीरे तुम्हारी पूंछ वापस आ जाएगी।


बुलबुल जंगल में वापस आ जाती है। अगले दिन सभी बिना पूंछ वाली गिलहरी का मज़ाक उड़ाने लगते हैं। लेकिन बुलबुल को बुरा नहीं लगता, वह सभी से माफ़ी मांगती है।


फिर वह सभी की मदद करने का वादा करती है। वह बरसात के मौसम में चिड़िया के बच्चों के लिए अनाज लाती है। वह पेड़ से फल तोड़कर नीचे गिराती है ताकि भोलू भालू उन्हें उठाकर खा सके।


इस तरह वह सभी जानवरों की मदद करने लगती है, जिससे सभी उसे आशीर्वाद देते हैं और उनके आशीर्वाद से उसकी पूंछ धीरे-धीरे वापस आ जाती है। यह देखकर गिलहरी बहुत खुश होती है।




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