बहुत समय पहले की बात है, एक आदमी के घर में एक चूहा रहता था। वह औरत उसे बहुत परेशान करती थी और धीरे-धीरे वह डरपोक हो गया। आदमी ने अपने दोस्त से सलाह मांगी ताकि वह चूहे की दुखद किस्मत बदल सके।
दोस्त ने सुझाव दिया, "तुम्हें चूहे को बंद कमरे में बंद कर देना चाहिए। वह अपनी डरावनी आवाज़ नहीं फैला पाएगा और इससे वह बहुत सीमित हो जाएगा।"
आदमी ने अपने दोस्त की बात सुनी और चूहे की असलियत समझे बिना उसे बंद कमरे में रख दिया। चूहा अपनी आवाज़ नहीं फैला पा रहा था और इससे वह बहुत डर गया। उसकी आवाज़ बंद हो गई और वह आदमी के घर के आस-पास रहने लगा। उसे जीवन में खुशियाँ तो मिल गई थीं, लेकिन उसकी आदतें नहीं बदली थीं।
कुछ समय बाद, चूहे ने फिर से अपनी पुरानी आदतें अपना लीं। वह फिर से अपनी डरावनी आवाज़ फैलाने लगा और आदमी के घर में उपद्रवी बन गया। उसने फिर से अपने दोस्त से सलाह मांगी और अब वह औरत का सामना करने के लिए तैयार था।
दोस्त ने कहा, "उस चूहे के सारे डर देखने की कोशिश करो। तुम देखोगे कि वह चूहे से भी डरता है।"
उस आदमी ने अपने दोस्त की सलाह मानी और चूहे के पास गया और उसके द्वारा बजाई गई आवाज़ को सुनने की कोशिश की। उसने देखा कि चूहा भी डरा हुआ था और चूहे से भी डर रहा था।
दोनों एक दूसरे को देखकर हैरान हो गए। वे समझ गए कि जो डराता है, वह डरता है।
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि अपने डर का सामना करने से हमें अपनी डरपोक आदतें बनाने और खुद पर विश्वास करने की क्षमता मिलती है। डरपोक होने के बजाय हमें अपनी क्षमताओं और साहस को विकसित करके अपने डर का सामना करना चाहिए।
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डरपोक चूहा की कहानी | Darpok chuha ki kahani