Skip to Content

Echo Dream Ep-02

2 जनवरी 2025 by
Echo Dream Ep-02
Imtiyaz Sheikh

Echo Dream - Ep-02 @VoomComix

Entry Banshi

कई दिनों बाद, राहिल की आँख खुली। घर में खुशी का माहौल था। लेकिन एक बात अजीब थी—राहिल के पास से कोई एक मिनट के लिए भी दूर होता, तो वह तेज़ चीखने लगती। उसकी आवाज़ बिल्कुल वैसी थी, जैसे कुएं के अंदर से आती है।

धीरे-धीरे समय बीतता गया, और राहिल ठीक होती गई। कुछ महीनों बाद वह ठीक तो हो गई, लेकिन उसमें अजीब बदलाव आ चुके थे। वह अब हमेशा किसी कोने में रहना पसंद करती। वह डर-डर कर जीने लगी थी। न उसे धूप पसंद थी, न कोई दोस्त, न परिवार से लगाव था, न किसी रिश्तेदार से। वह बस चुप रहना चाहती थी।

स्कूल में भी, वह हमेशा एक कोने में बैठी रहती। न पढ़ाई में मन लगता, न दोस्तों से बात करती। धीरे-धीरे स्कूल के बच्चे उससे डरने लगे। उसके अजीब से बाल और घूरने की आदत ने उसे और अजीब बना दिया। अगर कोई उसके पास बैठता, तो वह उसे ऐसी नज़रों से देखती, जैसे उसे जान से मार देगी।

हालात इतने बिगड़ गए कि स्कूल वालों ने उसे पढ़ाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उसकी वजह से बच्चे स्कूल छोड़ने की धमकी दे रहे हैं।

घर पर भी राहिल के परिवार वाले उसकी हरकतों से परेशान हो गए थे। अब राहिल के पास जाने से उनके अपने परिवार को भी डर लगने लगा था। वह आधी रात को कुएं के पास चली जाती और वहीं खड़ी रहती। सुबह घरवाले उसे वापस लाते। उसकी माँ बस उसे देखकर रोती रहतीं, क्योंकि वह उनकी इकलौती बेटी थी।

थक हारकर, परिवार ने किसी ओझा को बुलाने का फैसला किया। किसी को शक नहीं था कि राहिल पर किसी आत्मा का साया है।

ओझा ने आकर राहिल से बात करने की कोशिश की। लेकिन राहिल चुप रही। न कोई आवाज़, न कोई डर, बस चुपचाप वह वही करती, जो ओझा कहता।





ओझा ने उससे कहा, "अपनी आँखें बंद करो।"

राहिल ने आँखें बंद कीं।

ओझा ने पूछा, "तुम्हें क्या दिख रहा है?"

राहिल बोली, "घर।"

ओझा ने पूछा, "घर में कौन-कौन है?"

राहिल ने कहा, "बंशी।"

(यहाँ बंशी का जिक्र आता है, जो आयरिश और सेल्टिक लोककथाओं में एक स्त्री आत्मा होती है। बंशी अक्सर विलाप, चीखने, या कराहने के द्वारा मौत का संकेत देती है। वह सफेद या भूरे रंग का हुड वाला लबादा पहने होती है।)

ओझा को यह सुनकर डर लगा। उसने डरते हुए कहा, "बंशी? क्या तुम बंशी हो?"

तभी राहिल का शरीर अचानक हिलने लगा।

ओझा ने फिर पूछा, "क्या तुम बंशी हो?"

राहिल बोली, "नहीं।"

ओझा ने पूछा, "तो तुम कौन हो?"

राहिल बोली, "मैं राहिल ही हूँ।"

ओझा ने पूछा, "तुम बंशी के पास क्या कर रही हो?"

राहिल ने कहा, "वो मुझे पसंद है।"

ओझा ने पूछा, "तुम बंशी को पसंद करती हो, या बंशी तुम्हें?"

राहिल ने झूलते हुए कहा, "मैं बंशी को पसंद करती हूँ।"

ओझा ने कहा, "तुम्हें पता भी है कि बंशी कौन है और कितनी भयानक महिला है?"

राहिल चुप रही। फिर उसने कहा, "वो बहुत प्यारी है। जो मुझे तंग करता है, वो उसे जान से मार सकती है।"

ओझा ने पूछा, "और कौन है वहाँ उस कुएं में?"

राहिल बोली, "एक आदमी। जो मेरे शरीर को निकालने गए थे। वो अब भी वहीं है।"

ओझा ने राहिल के परिवार की तरफ देखा। उनके इशारों से वह समझ गया कि राहिल की बात में सच्चाई है।

ओझा ने पूछा, "तुम वहाँ तक कैसे गई?"

राहिल ने कहा, "जब मैं दोस्तों के साथ खेल रही थी, तब मैं छुपने के लिए एक पेड़ के पास छुप गई। वहाँ मैंने देखा कि बंशी मेरे साथ छुपी हुई थी। वह मुझे देखकर हंस रही थी और मुझे बहुत प्यारी लगी। बंशी ने कहा कि कुएं के पास चलकर छुपो, नहीं तो वह हमें ढूंढ लेगी। लेकिन मैंने मना कर दिया।

फिर मैंने भागकर दोस्तों के पास जाने की कोशिश की। लेकिन मेरे सारे दोस्त बस खेल रहे थे। मैंने दोस्तों को हिलाया, लेकिन कोई कुछ नहीं बोला। मैं जोर-जोर से रो रही थी, फिर भी किसी ने नहीं देखा।

बंशी ने मेरे पैर पकड़ लिए और मुझे सबके सामने खींचते हुए कुएं के पास ले गई। मैं बहुत तेज़-तेज़ चिल्लाई, 'बचाओ मुझे!' लेकिन कोई नहीं आया।

फिर बंशी मुझे कुएं में ले गई। वहाँ एक नई दुनिया देखी। जहाँ मेरे और बंशी के अलावा कोई नहीं था। बंशी मुझे वहाँ बहुत खुश रखती है।"

राहिल ने कहा, "सच में, जब मैं इस दुनिया में रहती हूँ, तो यहाँ के लोग इतने डरावने क्यों हैं? सब बंशी की तरह अच्छे क्यों नहीं हैं? मैं सबको वहीं ले जाऊंगी।"

ओझा ने पूछा, "और क्या देखा है तुमने?"

राहिल ने कहा, "डर।"

ओझा ने पूछा, "कैसा डर?"

राहिल बोली, "जो बंशी की बात नहीं सुनता, बंशी उसकी आँखें निकालकर मेरे हाथों में दे देती है, ताकि मैं खा सकूं। और उसका दिल बंशी को बहुत पसंद है। दिल बंशी खाती है और खून हम दोनों पीते हैं।"

यह सुनकर ओझा का डर और बढ़ गया। उसने मंत्र पढ़ना शुरू किया, लेकिन तभी कमरे में एक तेज़ हवा का झोंका आया। कोने में एक छाया उभरने लगी।

छाया सफेद लबादे में एक स्त्री की आकृति थी। उसके लंबे, बिखरे बाल और खाली, डरावनी आँखें थीं। यह बंशी थी।

बंशी ने धीमी, गूंजती आवाज़ में कहा, "तुम मुझे रोक नहीं सकते। यह लड़की अब मेरी है। उसने मुझे चुना है।"

ओझा ने कहा, "तू झूठ बोल रही है! इंसान के ऊपर तेरा कोई अधिकार नहीं है। इसे छोड़ दे!"

बंशी ने हंसते हुए कहा, "उसने मुझे बुलाया है। अब तुम सब कुछ नहीं कर सकते।"

राहिल अचानक जमीन पर गिर गई और कांपने लगी। ओझा मंत्र पढ़ता रहा, लेकिन बंशी की शक्ति बढ़ती गई।

राहिल अचानक उठी। उसकी आँखें सफेद हो गईं और उसकी आवाज़ गहरी और डरावनी हो गई।

राहिल बोली, "मुझे उसकी ज़रूरत है। वह मुझे अकेला नहीं छोड़ती। जब मैं उसके पास होती हूँ, तो सब सही लगता है।"

राहिल और बंशी का अंत

राहिल चिल्लाई, "मुझे ले चलो। मैं यहाँ नहीं रहना चाहती।"

बंशी मुस्कुराई और कहा, "चलो। तुम्हारा इंतजार था।"

तभी राहिल अचानक बेहोश हो गई। बंशी ने उसके पैर पकड़कर उसे जमीन पर घसीटना शुरू कर दिया। राहिल बेहोश थी, लेकिन उसका शरीर जैसे खुद-ब-खुद बंशी का अनुसरण कर रहा था।

ओझा ने फिर से मंत्र पढ़ना शुरू किया और राहिल को रोकने के लिए दौड़ा। जैसे ही उसने बंशी को रोकने की कोशिश की, एक अदृश्य शक्ति ने उसे पीछे धकेल दिया। ओझा जमीन पर गिर पड़ा और घबराकर देखता रह गया।

राहिल का परिवार रोते हुए उसे रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हर बार जब कोई राहिल को छूने की कोशिश करता, तो वह हवा में उछलकर दूर जा गिरता। जैसे बंशी के चारों ओर एक अदृश्य दीवार थी, जिसे कोई पार नहीं कर सकता था।

धीरे-धीरे, बंशी राहिल को कुएं के पास ले गई। उस रात चाँदनी की हल्की रोशनी कुएं पर पड़ रही थी, लेकिन वह कुआं अब पहले जैसा नहीं दिख रहा था। उसके अंदर से नीले और काले रंग की रोशनी आ रही थी, और एक अजीब-सी गूंजती आवाज़ पूरे इलाके में फैल गई थी।

जैसे ही बंशी कुएं के पास पहुँची, उसने राहिल को उठाया और धीरे-धीरे कुएं के अंदर उतरने लगी। राहिल का शरीर भी बंशी के साथ गायब होता गया।

ओझा ने पूरी ताकत से चिल्लाते हुए कहा, "रुक जा! उसे छोड़ दे!"

लेकिन बंशी ने एक बार पलटकर ओझा की तरफ देखा और उसकी आँखों से ऐसी काली रोशनी निकली कि ओझा वहीं पर बेहोश हो गया।

राहिल का पूरा शरीर अब कुएं के अंदर था। आखिरी बार, उसकी माँ ने चिल्लाते हुए कहा, "राहिल, वापस आ जाओ!"

लेकिन बंशी ने एक डरावनी हंसी के साथ कहा, "अब वह मेरी है।"

कुएं से एक आखिरी तेज़ चमकदार रोशनी निकली और फिर सबकुछ शांत हो गया। कुआं पहले जैसा लगने लगा, लेकिन राहिल और बंशी दोनों गायब हो चुके थे।

घर में सन्नाटा छा गया। परिवार के लोग और गांववाले सदमे में खड़े थे। ओझा भी असहाय होकर जमीन पर पड़ा था।

क्या राहिल वापस आएगी?

यह सवाल हर किसी के मन में था। लेकिन एक बात तय थी—अब उस कुएं के पास कोई नहीं जाएगा।

कुछ कहते हैं, राहिल बंशी की दुनिया में कैद हो गई है।

तो कुछ कहते हैं, वह एक दिन लौटेगी... लेकिन अगर लौटी, तो क्या वह वही राहिल होगी?

अभी तक उस कुएं की कहानी रहस्य बनी हुई है।

Share this post
Tags
Archive