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My Fish! My Fish

13 जनवरी 2025 by
My Fish! My Fish
Imtiyaz Sheikh

दो मित्र और उनकी सीख: किच्चू और चोरू की कहानी

बहुत समय पहले, एक सुंदर हरी-भरी घाटी में एक गांव था। उस गांव के पास ही एक साफ और गहरी नदी बहती थी। गांव के सभी लोग उस नदी से पानी लेते, मछलियां पकड़ते, और नदी के किनारे बैठकर सुकून के पल बिताते।

गांव में दो घनिष्ठ मित्र रहते थे—किच्चू और चोरू। दोनों बचपन से ही हर काम साथ करते थे। उन्हें मछली पकड़ने का बहुत शौक था। एक दिन, किच्चू ने कहा,

“चोरू, आज बड़ी मछली पकड़ने का मन है। चलो, नदी किनारे चलते हैं।”

चोरू तुरंत तैयार हो गया। वे दोनों अपना मछली पकड़ने का जाल और बाल्टी लेकर नदी की ओर निकल पड़े। रास्ते में उन्हें उनका तीसरा दोस्त, मोनू, मिला। मोनू बहुत समझदार और प्रकृति प्रेमी था। उसने दोनों को देखा और बोला,

“किच्चू, चोरू, मछली पकड़ने जा रहे हो, लेकिन एक बात याद रखना। मछलियां पानी के बिना नहीं रह सकतीं। अगर उन्हें जमीन पर रखोगे तो वे मर जाएंगी। अगर पकड़ना ही है, तो उन्हें पानी में रखकर ही ले जाना।”

किच्चू हंसते हुए बोला,

“अरे मोनू, तू तो हमेशा ज्ञान देने आता है। हमें पता है कि मछलियां कैसे संभालनी हैं। चल, तू अपना काम कर।”

चोरू ने भी मोनू की बात को नजरअंदाज कर दिया और वे दोनों नदी की ओर बढ़ गए।

मछली पकड़ने की खुशी

नदी किनारे पहुंचकर दोनों ने अपना जाल पानी में डाला। कुछ देर इंतजार करने के बाद किच्चू की जाल में एक बड़ी मछली फंसी। किच्चू खुशी से उछल पड़ा।

“देखो चोरू, मेरी मछली कितनी बड़ी है! शायद यह आज की सबसे बड़ी मछली होगी।”

चोरू भी अपनी मछली पकड़ने में लग गया। कुछ ही समय बाद उसकी जाल में भी एक बड़ी मछली फंसी। वह चिल्लाया,

“अरे किच्चू, तेरी मछली से बड़ी तो मेरी मछली है! आज का सबसे बड़ा शिकार मैंने किया है।”

अब दोनों में बहस शुरू हो गई।

“मेरी मछली बड़ी है!”

“नहीं, मेरी मछली बड़ी है!”

वे दोनों अपनी-अपनी मछलियों को जमीन पर रखकर उनकी तुलना करने लगे। मछलियों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी, लेकिन किच्चू और चोरू को इस बात की चिंता नहीं थी।



मोनू की चेतावनी और अनदेखी

मोनू भी पीछे-पीछे नदी के किनारे पहुंच गया था। उसने देखा कि किच्चू और चोरू अपनी मछलियों को जमीन पर रखकर बहस कर रहे हैं। वह तुरंत उनके पास पहुंचा और बोला,

“अरे मूर्खों, मछलियों को पानी में रखो। वे सांस नहीं ले पाएंगी और मर जाएंगी। जल्दी उन्हें पानी में डालो!”

लेकिन किच्चू और चोरू ने उसकी बात को फिर से अनसुना कर दिया। किच्चू ने तंज करते हुए कहा,

“मोनू, हमें सब पता है। तू क्यों टोक रहा है? यह देख, मेरी मछली कितनी बड़ी है!”


मछलियों की छलांग और खाली हाथ लौटना

जैसे ही किच्चू और चोरू बहस में व्यस्त थे, अचानक मछलियों ने अपने बचे-खुचे बल से एक बड़ा उछाल मारा और नदी में वापस चली गईं। दोनों यह देखकर चौंक गए।

“अरे! मेरी मछली चली गई!” किच्चू ने चिल्लाते हुए कहा।

“मेरी भी!” चोरू ने अफसोस भरी आवाज में कहा।

अब दोनों खाली हाथ थे। वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें।

मोनू ने हंसते हुए कहा,

“देखा, मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि मछलियों को पानी में रखो। लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी। अब देखो, तुम दोनों के पास कुछ भी नहीं बचा। बस बहस ही कर रहे थे।”

किच्चू और चोरू को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने सिर झुकाकर मोनू से माफी मांगी।

“मोनू, हमें माफ कर दे। हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई। अगली बार हम जरूर ध्यान रखेंगे।”

सीख और वादा

मोनू ने उन्हें समझाया,

“जिंदगी में हमेशा दूसरों की सलाह सुननी चाहिए, खासकर जब वह सही हो। साथ ही, हमें जानवरों और प्रकृति के प्रति दयालु होना चाहिए। यह मछलियां भी हमारी तरह जीने का अधिकार रखती हैं। उन्हें तकलीफ मत दो।”

किच्चू और चोरू ने वादा किया कि वे अब कभी मछलियों को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे और हमेशा मोनू की सलाह मानेंगे।

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों की सही सलाह को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। साथ ही, हमें प्रकृति और जीवों के प्रति दयालु और सहानुभूति रखने वाला बनना चाहिए।

यह कहानी काल्पनिक है और किसी वास्तविक घटना पर आधारित नहीं है।

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